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Girish Dalvi

About

Girish Dalvi is an inter-disciplinary faculty of Design at the Industrial Design Centre (IDC), IIT Bombay. He teaches subjects in the area of Visual Design, Interaction Design and Design research.

His research interests in the domain of Visual design are: Devanagari Typography (History, Type design methodologies, Theoretical Modeling, Classification, and Type-Culture); within the field of Interaction design his research interests are: Culture sensitive Interactions, Frugal Computing, search-retrieval paradigms, Indian Language (localized) interfaces and input mechanisms for Indic scripts. As a design researcher his work deals with applying Statistical and Mathematical modeling techniques for designers.

He holds a Bachelor’s degree in Computer Engineering, a Master’s degree in Design and a Ph.D. from IIT Bombay. His doctoral research dealt with the theoretical modeling of Devanagari typefaces. As a type designer he has co-created several typefaces for Indian scripts, prominent amongst these is the Ek multi-script family, the open source Ek Mukta family , LifeOk Devanagari and Star Bengali.

Please feel free to get in touch with him by writing at girish.dalvi@iitb.ac.in

गिरीश दळवी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आय॰ आय॰ टी॰) मुंबई के औद्योगिक अभिकल्प केन्द्र (आय॰ डी॰ सी॰) में अभिकल्प इस विषय के साहाय्यक प्राध्यापक है। वह दृक् संचार, अन्योन्यक्रिया अभिकल्प और अभिकल्प संशोधन जैसे विषयों का अध्यापन करते है। उनके संशोधन के विषय है —

दृक् संचार — देवनागरी मुद्राक्षरविद्या (देवनागरी मुद्राक्षरकला का इतिहास, फाउंटरचना कार्यपद्धती, देवनागरी मुद्राक्षरों का सैद्धान्तिक प्रारूपण, वर्गीकरण और मुद्राक्षर-संस्कृती)। अन्योन्यक्रिया अभिकल्प — संस्कृति के प्रति संवेदनशील अभिकल्प (उदा. संगणक-मानव-संवाद स्थानिकीकरण), मितव्ययी संगणन, सूचना शोध एवं पुनर्प्राप्ति की कार्यपद्धति, भारतीय भाषाओं के लिए संवादपटल (इंटरफ़ेस) तथा भारतीय लिपियों में टंकण करने के उपकरण। एक अभिकल्प अनुसंधानकर्ता होने के नाते वह अभिकल्प प्रक्रिया में सांख्यिकीय और गणितीय प्रारूपो का निर्माण तथा उपयोग इ. विषयों पर संशोधन करते है।

उन्होंने संगणक-अभियांत्रिकी इस विषय में स्नातक पदवी, अभिकल्प इस विषय में स्नातकोत्तर पदवी, तथा आय. आय. टी., मुंबई से विद्या वाचस्पति (पीएचडी) यह पदवी प्राप्त की है। उनके प्रबंध का विषय ‘देवनागरी मुद्राक्षरों का सैद्धान्तिक प्रारूपण’ था। ‘एक’ (बहु लिपि फाउंटसमूह), ‘एक मुक्त’ यह मुक्तस्रोत फाउंटसमूह ,‘लाइफओके’ (देवनागरी फाउंट) और ‘स्टार बंगाली’ (बाङ्ला फाउंट) जैसा विविध फाउंट प्रकल्पों में वह सह-रचनाकर रह चुके हैं।

संपर्क के लिए girish.dalvi@iitb.ac.in इस पते पर बेझिझक लिखें।

गिरीश दळवी हे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आय॰ आय॰ टी॰) मुंबई येथील औद्योगिक अभिकल्प केन्द्रात (आय॰ डी॰ सी॰) अभिकल्प ह्या विषयाचे साहाय्यक प्राध्यापक म्हणून कार्यरत असून ते दृक् संचार, अन्योन्यक्रिया अभिकल्प आणि अभिकल्प संशोधन ह्या विषयांचे अध्यापन करतात. त्यांचे संशोधनाचे विषय पुढीलप्रमाणे आहेत.

दृक् संचार — देवनागरी मुद्राक्षरविद्या (देवनागरी टंकांचा इतिहास, टंकरचनेच्या कार्यपद्धती, देवनागरी मुद्राक्षरांचे सैद्धान्तिक प्रारूपण, वर्गीकरण आणि टंक-संस्कृती). अन्योन्यक्रिया अभिकल्प — संस्कृतिसापेक्ष अन्योन्यक्रिया (उदा॰ संगणक-मानव-संवादातील स्थानिकीकरण), अल्पमोली संगणन (कमी खर्चाच्या संगणनाच्या सोयी. उदा॰ आकाश टॅब्लेटसारखी अल्पमोली साधने), माहिती शोधण्याचे निकष, भारतीय भाषांकरता संवादपटल (इंटरफेस) तसेच भारतीय लिप्यांत मजकूर नोंदवण्याच्या सोयी. अभिकल्प प्रक्रियेतील सांख्यकीय आणि गणिती प्रारूपे तयार करण्याची तंत्रे हा एक अभिकल्प संशोधक म्हणून दळवी ह्यांचे संशोधनाचे विषय आहे.

त्यांनी संगणक-अभियांत्रिकी ह्या विषयात स्नातक पदवी, अभिकल्प ह्या विषयात स्नातकोत्तर पदवी तसेच आय॰ आय॰ टी॰, मुंबई येथून पीएचडी ह्या पदव्या संपादित केल्या आहेत. ‘देवनागरी मुद्राक्षरांचे सैद्धान्तिक प्रारूपण’ हा त्यांच्या प्रबंधाचा विषय होता. ‘एक’ हा बहुलिपी टंकसमूह, ‘एक मुक्त’ हा मुक्तस्रोत टंकसमूह , ‘लाइफओके’ हा देवनागरी टंक आणि ‘स्टार बंगाली’ हा बाङ्ला टंक ह्यांसारखे विविध भारतीय लिप्यांचे टंक तयार करण्यात टंकरचनाकार म्हणून त्यांनी सहभाग घेतला आहे.

संपर्क साधायला girish.dalvi@iitb.ac.in या पत्त्यावर निःसंकोच पत्र पाठवावे.

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Students and Designers often complain about the lack of resources available to them to carry out their Devanagari typography projects. We have consolidated a list of resources which will probably fulfill most of the requirements of most projects. The list given below is by no means exhaustive and it is likely you might have to refer to resources which are not listed, we hope to keep updating this list from time to time. The list is categorised into 5 sections: